गुरुश्री राधा और मीरा दोनों ने कृष्ण को पाया... इन दोनों ने भगवान को कैसे पाया?
इस भक्ति में जो कॉमन फैक्टर (common factor) है , वह दीवानापन है .... दोनों के बारे में सबको पता है , कि दोनों ने भगवान को पाया ... लेकिन पाया तो पाया कैसे | दीवानापन जो है... दीवाना पागलपन को नहीं कहते ....दीवाना कहते हैं एक्सट्रीम (extreme) को.... किसी भी चाहत के लिए एक्सट्रीम तक चले जाना.... उसको दीवानापन कहते हैं | और यह दीवानापन बहुत ऊंची तपस्या है ....यह तपस्या कोई आसान नहीं है.... इसमें अंदर अभिमान , अहंकार ,स्वार्थ, ईर्ष्या ...इन सब चीजों को अपने से जुदा कर दिया जाता है | इन सबसे दूर हो जाओगे तो तुम प्यार और समर्पण की भावना के अंदर प्रवेश कर जाओगे | यह दीवानापन किसी भी चीज से हो सकता है ....जरूरी नहीं कि कोई व्यक्ति विशेष ....यह कुदरत की बनाई हुई किसी वस्तु से भी हो सकता है.... इसके अंदर जितने गहरे उतरते जाओगे उतना ही आनंद पाते जाओगे ...उतना ही सुकून पाते जाओगे... सुकून में जाने के बाद कोई भी काम, कोई भी अभिलाषा अधूरी नहीं रहती... दुनियादारी में रहते हुए, गृहस्थ में रहते हुए, समाज में रहते हुए इस सुकून को प्राप्त करो
यह एक तरीके से आपके पास अतिरिक्त ऊर्जा (extra energy) हो जाएगी ...जीने की कला और पाने की कला | एक आदमी पैदल चल रहा होता है, पैदल वह रास्ते को बहुत लंबे समय में पूरा करता है .... जब उसके पास गाड़ी आ जाती है, तो उसी दूरी को वह जल्दी पार कर लेता है | यह विद्या जो है ...यह शक्ति जो है ...इस शक्ति से आप सब कुछ जल्दी पा लेंगे ...फिल्टर्ड (filtered) पा लेंगे और उसमें यह सोचने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी कि यह सही है या गलत है | किसी बंधन में मत पड़ो... यह सब बंधनों को तोड़ देती है, इसमें सीधा कनेक्शन (connection) आत्मा और परमात्मा का होता है... इस सुकून को प्राप्त करो |